Monday, June 9, 2025

बुद्धपूर्णिमा :गंगा के अंचल में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डूबकी …

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गजरौला। सोमवार को बुद्धपूर्णिमा पर मां गंगा के अंचल में भारी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े। हर हर गंगे की जयकारे संग श्रद्धालुओं ने गोता लगाया और फिर घाट किनारे पर विराजमान पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर पूर्ण लाभ भी कमाया। उधर, गंगा पुल पर डग्गामार बस खड़ी होने की वजह से लंबा जाम लग गया। उससे भी लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। तीर्थ नगरी ब्रजघाट में गढ़ के कच्चा घाट लठीरा, पुष्पावती पूठ के अलावा अमरोहा की ब्रजघाट चौकी के नीचे कच्चे घर आदि स्थानों पर लोग गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित करने के लिए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के अलावा नोएडा व गाजियाबाद और मुरादाबाद मंडल के काफी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचे।

भारी संख्या में उमड़े श्रद्धालु
उधर, तिगरीधाम में भी काफी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। पंडित गंगासरन शर्मा ने बताया कि पूर्णिमा रविवार की रात्रि 8:01 से शुरू होकर सोमवार की शाम 10:25 तक है। उधर, श्रद्धालुओं के भारी संख्या में आगमन को देखते हुए पुलिस प्रशासन सतर्क रहा। इस बार पूर्णिमा पर अधिक सतर्कता भी रही। क्योंकि भारत-पाक के बीच तनावपूर्ण माहौल होने के बाद धार्मिक स्थलों पर भी निगरानी की जा रही है। 100 से अधिक पुलिसकर्मी संदिग्धों पर नजर और श्रद्धालुओं की सुरक्षा में लगे। उधर, श्रद्धालुओं की अधिकता होने के कारण तीर्थ नगरी में बनी पार्किंग फुल हो गई। लोगों अपने वाहनों को तीर्थ नगरी की गलियों तथा हाईवे पर खड़ा कर दिया। इसके अलावा सवारियों को उतरने और चढ़ने के लिए डग्गामार बस भी पुल पर ही खड़ी हो गईं। तीन-चार बसें एक साथ खड़े होने की वजह से लंबा जाम लग गया। प्रभारी निरीक्षक अखिलेश प्रधान ने बताया कि पुलिसकर्मी मौजूद हैं और जाम को खुलवाया जा रहा है। बुद्ध पूर्णिमा, जिसे बुद्ध जयंती या वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था, इसलिए इसे ‘त्रैवेदिक’ पर्व भी कहा जाता है।बुद्ध पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आत्म-निरीक्षण, अहिंसा, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा का प्रतीक है। यह दिन न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह समाज में शांति और सद्भावना की भावना को बढ़ावा देने का अवसर भी है।

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