कोरबा। शहर के हृदयस्थल ओपन थिएटर घंटाघर मैदान में इन दिनों सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, जुनून, जज्बा और खेल भावना का संगम देखा जा रहा है। स्वर्गीय डॉ. बंशी लाल महतो स्मृति राज्य स्तरीय रात्रिकालीन क्रिकेट प्रतियोगिता के पांचवें दिन का आयोजन खेल प्रेमियों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं रहा। जब आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे, तब मैदान में युवा खिलाड़ी अपने जज़्बे से चमक बिखेर रहे थे।
पहला मुकाबला: हेमंत बना जुनून की मिसाल, आरसीसी 11 ने दिखाई टीम वर्क की ताकत
पहले मुकाबले में आर्य ग्रुप और आरसीसी 11 के बीच रोमांचक भिड़ंत हुई। टॉस जीतकर आरसीसी 11 ने गेंदबाजी चुनी और आर्य ग्रुप को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया। आर्य ग्रुप ने संघर्ष करते हुए 96 रन बनाए। लेकिन जीत की भूखी आरसीसी 11 ने आत्मविश्वास और समन्वय का शानदार प्रदर्शन करते हुए लक्ष्य मात्र 8 ओवरों में 4 विकेट खोकर प्राप्त कर लिया।
इस जीत के सूत्रधार रहे हेमंत – एक ऐसा खिलाड़ी, जिसने 25 रन बनाकर और 3 विकेट लेकर अपनी टीम को जीत दिलाई। उनका जुझारूपन और हरफनमौला प्रदर्शन उन्हें “मैन ऑफ द मैच” बना गया।

दूसरा मुकाबला: हितेश की आग उगलती बैटिंग, बरपाली चैंपियंस की शानदार वापसी
दूसरे मैच में नाईट राइडर बालकनी ने 87 रन का लक्ष्य रखा। बरपाली चैंपियंस की शुरुआत संतुलित रही, लेकिन पारी को रफ्तार दी हितेश ने – जिनके बल्ले से निकली 15 गेंदों पर 53 रनों की तूफानी पारी ने मैदान में बैठे हर दर्शक को झूमने पर मजबूर कर दिया।
हितेश ने सिर्फ गेंदबाज़ी को नहीं, बल्कि हार की आशंका को भी ध्वस्त कर दिया। उनकी विस्फोटक बल्लेबाज़ी ने उन्हें “मैन ऑफ द मैच” का खिताब दिलाया और उनकी टीम को शानदार जीत।

खास मेहमानों ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला
मैचों के दौरान पार्षद श्रीमती धनकुमारी गर्ग, पार्षद श्री अजय गौड़, मीडिया प्रतिनिधि श्री दिब्येंदु, डॉ. विवेक रंजन महतो, पीयूष गुरुदीवान और पूर्व पार्षद श्री बलराम विश्वकर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही। उन्होंने न सिर्फ खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया, बल्कि आयोजन समिति को भी उत्कृष्ट व्यवस्था और खेल के प्रति समर्पण के लिए बधाई दी।

जब मैदान बना जुनून का मंच
यह प्रतियोगिता सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं है – यह एक अवसर है, जहां युवा प्रतिभाएं खुद को साबित कर रही हैं, और दर्शक उनके हर रन, हर विकेट के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ रहे हैं। यह टूर्नामेंट बताता है कि खेल सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि भाईचारा, समर्पण और समाज को जोड़ने का माध्यम है।
निष्कर्ष:
पांचवें दिन के मुकाबलों ने यह साफ कर दिया कि खिलाड़ी सिर्फ गेंद और बल्ले से नहीं, अपने जुनून और आत्मविश्वास से भी मैच जीतते हैं। कोरबा की यह रात खिलाड़ियों की मेहनत और सपनों की चमक से हमेशा के लिए यादगार बन गई।