कोरबा। सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना में एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन की परेशानी कम होने का नाम ही नही ले रही है। यहां भू-विस्थापितों द्वारा अपनी मांगो को लेकर खदान बंद करने सहित मुख्यालय में प्रदर्शन करने का सिलसिला लगातार जारी है। जिसके चलते कोयला उत्पादन मेें बांधा आ रही है और कोल इंडिया की मिनीरत्न कंपनी एसईसीएल की यह मेगा परियोजना कोयला उत्पादन के लक्ष्य से पिछड़ रही है।
हालांकि एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन की ओर भू-विस्थापितों को आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन वे मान नही रहे है। वे अपने मांगो को लेकर प्रदर्शन करने से नही चुकते, इसी कड़ी में आज कुसमुंडा खदान के भू-विस्थापितो ने जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर कुसमुंडा खदान में प्रदर्शन किया और खदान बंदी आंदोलन शुरू कर दिया, जिससे यहां कोयला उत्पादन एवं प्रेषण संबंधी कामकाज प्रभावित हो गया।
रोजगार एकता संघ के बेनर तले आयोजित इस आंदोलन में कुसमुंडा खदान से प्रभावित ग्राम खमरिया, जरहजेल, बरपाली, भैसमाखार, मनगांव, जटराज, बरकुटा से बड़ी संख्या में भू-विस्थापित शामिल हुए और एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए खदान के भीतर धरने पर बैठ उसे बंद करा दिया।
जानकारी के अनुसार भू-विस्थापितों का आंदोलन अलसुबह 5 बजे शुरू हो प्रातः 10 बजे तक चला इस दौरान प्रबंधन को जानकारी मिलने पर डिप्टी मैनेजर रेंज के अधिकारी विजय को बातचीत के लिए भेजा, उन्होने भू-विस्थापितो से चर्चा लिखित में आश्वासन दिया। जिस पर भू-विस्थापित माने और आंदोलन समाप्त कर वापस लौटे। डिप्टी मैनेजर ने बताया कि कंपनी मुख्यालय बिलासपुर में डायरेक्टर के साथ भू-विस्थापितों की एक बैठक आयोजित कराकर समझने का प्रयास किया जायेग ।