Thursday, April 24, 2025

भू विस्थापितों ने कुसमुंडा खदान में खोला मोर्चा, रोजगार, बसावट, जमीन वापसी सहित अन्य मांगों को लेकर खोला मोर्चा

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कोरबा। एसईसीएल के कुसमुंडा, गेवरा, दीपका और कोरबा क्षेत्र के प्रभावित गांव के भू विस्थापितों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में कामबंद आंदोलन किया है। लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण, खमहरिया की जमीन किसानों को वापसी,आउटसोर्सिंग कार्यों में प्रभावित भू विस्थापितों को रोजगार प्रदान करने, नए पुराने नाम पर मुआवजा कटौती बंद करने, विस्थापित सभी परिवार को बसावट देने एवं बसावट गांव में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा में सुबह 6 बजे से कोल परिवहन को बंद कर हड़ताल शुरू कर दिया। किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि सभी भू विस्थापित किसानों जिनकी जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहण किया है उन सभी खाते पर भू विस्थापितों को स्थाई रोजगार एसईसीएल को देना होगा। विकास परियोजना के नाम पर गरीबों को सपने दिखा कर लोगों को विस्थापित किया गया है। अपने पुनर्वास और रोजगार के लिये भू विस्थापित परिवार आज भी भटक रहे हैं। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। कोरबा जिले की विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। लगातार संघर्ष के बाद खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया। जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। किसान सभा के नेता दीपक साहू, सुमेंद्र सिंह कंवर,जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान जिस जमीन पर कई पीढिय़ों से खेती किसानी कर रहे है उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीन रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है। भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम,रेशम यादव,रघु ने कहा कि 1978 से लेकर 2004 के मध्य कोयला खनन के लिए जमीन को अधिग्रहित किया गया है, लेकिन तब से अब तक विस्थापित ग्रामीणों को न रोजगार दिया गया है न पुनर्वास ऐसे प्रभावितों की संख्या सैकड़ों में है। प्रत्येक खातेदार को रोजगार दिया जाए नहीं तो संघर्ष और तेज होगा।
यह है प्रमुख मांगे –
1) भू विस्थापित जिनकी जमीन सन 1978 से 2004 तक अर्जन की गई है उन प्रत्येक खातेदार को रोजगार संबंधित प्रक्रिया पूरी कर जल्द रोजगार प्रदान किया जाए।
2) जिन भू विस्थापितों का फाइल बिलासपुर मुख्यालय में है उन्हें तत्काल रोजगार प्रदान किया जाए।

3) जिन भू विस्थापितों की फाइल कुसमुंडा-गेवरा एवं राजस्व विभाग में है उन्हें जल्द कार्यवाही कर रोजगार प्रदान करने की कार्यवाही पूरी की जाए।

4) जिन भू विस्थापितों की जमीन 1978 से 2004 तक अर्जन की गई है उनमें बचे हुए सभी भू विस्थापितों को बसावट प्रदान किया जाए।
5) कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहित ग्राम खमहरिया के मूल किसानों को जमीन वापस किया जाए।
6) पूर्व में मिले प्रत्येक परिवार को पुन: बसावट या बसावट के एवज में मिलने वाली राशि प्रदान की जाए।
7) एसईसीएल में आउट सोर्सिंग से होने वाले सभी कार्यों में भू विस्थापित परिवार के बेरोजगारों को 100फीसदी रोजगार में रखा जाए।
8) पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाए।
9) गेवरा क्षेत्र अंतर्गत होने वाले अधिग्रहित ग्रामों में नए पुराने घरों के नाम पर परिसंपतियों का मूल्यांकन में कटौती बंद किया जाए और परिसंपतियो का पूर्ण मुआवजा दिया जाए।
10) कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सुराकछार बस्ती के प्रभावित किसानों को फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा दिया जाए एवं भू धसान क्षेत्र की जमीन को समतलीकरण कर पुन: कृषि कार्य करने योग्य बनाया जाए।

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