कोरबा 6 जून 2025। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक ऐतिहासिक प्राथमिक शाला राज्य सरकार के युक्तियुक्त कारण नीति का शिकार होकर विलुप्त हो रही है। सन 1910 में स्थापित इस प्राथमिक पाठशाला को एक डिप्टी सी एम, एक गृहमंत्री और एक सांसद सहित अनेक विभूतियों को शिक्षा दीक्षा देने का श्रेय है।
छत्तीसगढ़ शासन ने प्रदेश में पाठशालाओं के युक्तियुक्तकरण का आदेश दिया है। पूरे प्रदेश में विशेष अभियान चलाया गया है। कोरबा जिले में भी युक्तियुक्तकरण किया गया है। इस प्रक्रिया में कोरबा जिले के विकासखंड कोरबा का ऐतिहासिक प्राथमिक पाठशाला तिलकेजा भी प्रभावित हुआ है। इस पाठशाला के विलोपीकरण का निर्णय लिया गया है।

प्राथमिक पाठशाला तिलकेजा की स्थापना आजादी से 37 साल पहले 1910 में कई गई थी। उस जमाने में वर्तमान जिला मुख्यालय कोरबा में भी पाठशाला नहीं थी। कोरबा में प्राथमिक शाला की स्थापना 1012 में कई गई थी। उन दिनों वर्तमान कोरबा जिले के कटघोरा में एकमात्र शासकीय प्राथमिक पाठशाला थी।

तिलकेजा की इस ऐतिहासिक प्राथमिक पाठशाला ने प्रदेश और देश को अनेक प्रतिभाएं गढ़कर भेंट की। यहां से राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, शिक्षाविद, शासकीय सेवक ही नहीं बल्कि विधायक, सांसद और मंत्री ने भी अपनी शिक्षा यात्रा की शुरुआत की थी।

रामपुर विधानसभा से सात बार के विधायक और अविभाजित मध्यप्रदेश में राज्यमंत्री से लेकर उप- मुख्यमंत्री का पद सुशोभित करने वाले स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर ने इसी पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की थी। फिर शिक्षा की यात्रा पर चलते हुए उन्होंने नागपुर के मॉरिस कालेज से लॉ की डिग्री हासिल की थी।
अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कद्दावर आदिवासी नेता, जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक, दोनों प्रदेशों में विभन्न विभागों में मंत्री रहे और छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर की प्रसरम्भिक शिक्षा भी इसी तिलकेजा प्राथमिक शाला में हुई थी। बाद में उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की। ननकीराम कंवर अंचल में गरीब आदिवासियों के वकील के रूप में जाने पहचाने जाते हैं। उन्होंने एक संवेदनशील राजनेता की पहचान भी बनाई और रामपुर विधानसभा क्षेत्र से 7 बार विधायक रहे। ननकीराम के कंवर अपने जुझारूपन और दबंग छवि के लिए जाने जाते है। भाजपा में प्रदेश से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक उन्हें कर्मठ, समर्पिता और ईमानदार नेता के रूप में सम्मान दिया जाता है।

कोरबा सहित आदिवासी क्षेत्रों में “गरीबों का डॉक्टर” कहे जाने वाले स्वर्गीय डॉक्टर बंशीलाल महतो की की प्राथमिक शिक्षा भी तिलकेजा की प्राथमिक पाठशाला में हुई। कालांतर में उन्होंने डॉक्टर की डिग्री हासिल कर प्रेक्टिस प्रारम्भ किया। वे सर्वसुलभ और सबसे सस्ते दर पर इलाज करने के लिए विख्यात रहे हैं। वे जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रथम कार्यकाल में सांसद रहे और संसद की विभिन समितियों में सदस्य रहे हैं।

कांग्रेस नेता और अविभाजित मध्यप्रदेश के डिप्टी सी एम रहे स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के अनुज और पूर्व पुलिस अधिकारी, पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर ने भी तिलकेजा प्राथमिक पाठशाला से शिक्षा हासिल की है। श्यामलाल कंवर ने पुलिस अधिकारी के रूप में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाएं दी। सेवा से रिटायर होने के बाद उन्होंने कांग्रेस की राजनीति में भागीदारी निभाई और रामपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रहे।
प्राथमिक पाठशाला तिलकेजा से ही पढ़ लिखकर कई राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने प्रदेश और देश का गौरव बढ़ाया है। यहां से अनेक शासकीय अधिकारी- कर्मचारी और शिक्षाविद पढ़कर निकले और उन्होंने देश और समाज की सेवा की। अविभाजित बिलासपुर जिले के धुर आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा का प्रकाश बिखेरा। लेकिन अब इस 115 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक पाठशाला की यात्रा पर विराम लग गया है। शासन की युक्तियुक्तकरण की योजना के तहत इस पाठशाला को विलोपित करने का निर्णय लिया गया है। इसका विलोपन तिलकेजा की कन्या आश्रम में किया गया है। हालांकि दोनों शालाएं एक ही केम्पश में हैं और छात्र छात्राओं को कोई असुविधा नहीं होगी, मगर इस ऐतिसाहिक स्कूल का नाम लुप्त हो जाएगा और पहचान समाप्त हो जाएगी।
आश्चर्य की बात है कि राज्य शासन के स्पष्ट निर्देश के बावजूद इस ऐतिहासिक महत्व के स्कूल को तिलकेजा के ही कुछ ही वर्षों पूर्व प्रारम्भ हुए कन्या आश्रम में मर्ज किए जा रहा है। जबकि शासन ने युकियुक्तकरण के आदेश में ऐतिहासिक महत्व रखने वाले पाठशालाओं के संरक्षण का स्पष्ट निर्देश दिया है। जिला शिक्षा विभाग के युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई में भर्ती गई लापरवाही का यह जिंदा सबूत है और इसने सम्पूर्ण कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
इस सिलसिले में प्राथमिक शाला तिलकेजा के पूर्व विद्यार्थी और छत्तीसगढ़ के पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने एक पत्र जारी कर पाठशाला तिलकेजा के ऐतिहासिक महत्व को प्रमाणित किया है। ग्रामवासियों ने पाठशाला को कन्या आश्रम में मर्ज नहीं करने की मांग की है। देखना होगा कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग अपनी गलती को सुधारता है या नहीं..?