Thursday, April 24, 2025

साहस की यात्रा: नारी सबला की साहस

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शहर में कुमार और प्रतीक्षा अपने छह साल की बेटी के साथ रहते थे। उनका जीवन एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार जैसा था—शांति, मेहनत और सपने से भरा हुआ। दिसंबर का महीना था, और शीतकालीन छुट्टियों के दौरान प्रतीक्षा ने अपने मायके जाने का निश्चय किया। यह यात्रा उसके लिए खास थी क्योंकि वह अपनी बेटी के साथ अकेले सफर कर रही थी। कुमार ने उसे शहर के बस स्टेशन पर बस में बिठा दिया, और उसके चेहरे पर अपने परिवार की चिंता के बावजूद आत्मविश्वास की झलक थी।

बस में बैठते ही प्रतीक्षा को एक सीट मिल गई। उसके पास ही उसकी बेटी बैठी । लेकिन उसकी पीछे की सीट पर एक व्यक्ति, जिसने शराब पी रखी थी, भी सफर कर रहा था। शुरुआत में प्रतीक्षा ने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन कुछ देर बाद उस व्यक्ति की हरकतें अश्लील होने लगीं। उसने अपने पैरों से प्रतीक्षा को छूने की कोशिश की। प्रतीक्षा को लगा कि यह केवल एक संयोग हो सकता है, लेकिन जैसे ही यह हरकत बार-बार होने लगी, वह समझ गई कि यह व्यक्ति जानबूझकर उसे परेशान कर रहा है।

अक्सर महिलाएं ऐसी स्थिति में असहज महसूस करती हैं और डर के कारण चुप रह जाती हैं। लेकिन प्रतीक्षा ने सोचा, “क्यों? मैं क्यों चुप रहूं?” वह अकेली थी, पर कमजोर नहीं थी। उसने गहरी सांस ली, अपने भीतर छिपी साहस को जगाया और जोर से उस व्यक्ति को रोकने के लिए कहा। बस की अन्य सवारियों ने उसकी आवाज़ सुनी। सबकी निगाहें उस शराबी पर टिक गईं। कुछ लोगों ने मिलकर उसे हड़काया, और ड्राइवर ने बस को रोककर उसे बस से उतार दिया।

प्रतीक्षा की इस साहसिक कदम ने न केवल उस शराबी को सबक सिखाया, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उस बस में बैठे सभी लोगों ने महसूस किया कि जब भी कोई गलत हो, आवाज उठाना बेहद जरूरी है।

यह कहानी प्रतीक्षा की नहीं, बल्कि हर उस महिला की है जो अकेले सफर करती हैं, अपनी सुरक्षा की उम्मीद में। समाज में इंसानी भेस में कुछ गीदड़ जैसे लोग भी होते हैं, पर जब तक हम चुप रहेंगे, वे और ताकतवर होते जाएंगे। लेकिन प्रतीक्षा ने दिखा दिया कि हर महिला में एक सशक्त नारी छिपी है।

यह सिर्फ एक यात्रा की कहानी नहीं है, बल्कि एक संदेश है—”नारी तुम अबला नहीं, सबला हो। अगर कुछ गलत हो रहा है, तो चुप मत रहो। उठो, विरोध करो।” समाज में अच्छे लोग भी होते हैं, जो तुम्हारे साथ खड़े होंगे, तुम्हारी आवाज बनेंगे, बस शुरुआत तुम्हें ही करनी होगी।

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