Monday, June 9, 2025

पूर्व मंत्री जययसिंह अग्रवाल ने कोरबा जिला में संचालित कोयला खदानों की विस्तार परियोजनाओं से प्रभावित परिवारों को नियमानुसार व्यवस्थापन दिलाने हेतु कोयला मंत्री को लिखा पत्र

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कोरबा : कोरबा जिला में प्रमुखतः कोरबा, कुसमुण्डा, गेवरा और दीपका सहित अनेक खदानें संचालित हैं जिनसे निकले कोयले को देश के अनेक राज्यों को भेजा जाता है।

उत्पादन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विस्तार परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए व्यापक पैमाने पर कार्य योजनाएं बनाई जाती हैं।

कुसमुण्डा खदान विस्तार परियोजना से ग्राम चन्द्रनगर या जटराज के प्रभावित परिवारों को व्यवस्थापन से पहले विस्थापित होने के लिए विवश न किए जाने के संबंध में लिखा गया पत्र।

पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री के साथ ही सी.एम.डी एस.ई.सी.एल, संभागायुक्त के साथ कलेक्टर कोरबा को भी प्रेषित की गई है।

पूर्व कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केन्द्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी को पत्र लिखते हुए कहा है कि कोरबा जिला अन्तर्गत संचालित विभिन्न कोयला खदानों जैसे कोरबा, कुसमुण्डा, गेवरा, दीपका व अन्य कोयला खदानों की विस्तार परियोजनाओं से प्रभावित होने वाले परिवारों को नियमानुसार पुनव्र्यवस्थापन के साथ ही आवश्यक बुनियादी सुविधाएं जैसे, आवास, सड़क, बिजली, पानी, पर्यावरण, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था उपलब्ध कराए बिना उन्हें अन्यत्र विस्थापित होने के लिए विवश न किया जाए।

श्री अग्रवाल ने पत्र में लिखा है कि कोरबा जिला की कोयला खदानों से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रबंधन द्वारा विस्तार परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के क्रम में कुसमुण्डा कोयला खदान विस्तार परियोजना के लिए बनाई गई कार्य योजना के अनुरूप ग्राम चन्द्रनगर (जटराज) के ग्रामीण प्रत्यक्ष रूप से पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं जिन्हें उचित मुआवजा और पुनव्र्यस्थापन व बुनियादी सुविधाओं के साथ ही रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना विस्थापित किए जाने के लिए एस.ई.सी.एल. प्रबंधन द्वारा विवश किया जा रहा है।

ग्रामीणों के हवाले से पत्र में लिखा गया है कि कुसमुण्डा खदान विस्तार परियोजना का कार्य आगे बढ़ाने के लिए ग्राम चन्द्रनगर (जटराज) के निवासियों को बसाहट के लिए सर्वमंगला मंदिर के आगे नदी के किनारे बसाहट दिए जाने हेतु स्थल का चिह्नांकन एस.ई.सी.एल. प्रबंधन द्वारा किया गया है जहां सर्वप्रथम उस स्थल का समतलीकरण कराए जाने के साथ ही प्रति परिवार कितना भू-खण्ड क्षेत्र उन्हें मकान आदि बनाने के लिए दिया जा रहा है उसका भी चिह्नांकन एस.ई.सी.एल. प्रबंधन द्वारा कराया जाना चाहिए।

इसके साथ ही उक्त क्षेत्र में आवागमन के लिए सड़क मार्ग, बिजली की सुविधा के साथ ही पेयजल की सुविधा का विकास कराया जाना भी प्रबंधन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बनती है लेकिन उस क्षेत्र में ऐसा नहीं हो रहा है। नए स्थल पर गामीणों के विस्थापित होकर बस जाने के बाद उनके बच्चों की शि़क्षा व ग्रामीणों के स्वास्थ्य आदि के संबंध में प्रबंधन व जिला प्रशासन द्वारा क्या व्यवस्था बनाई जायेगी जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर एस.ई.सी.एल प्रबंधन मौन है।

ग्रामीणों के हवाले से कोयला मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि वर्तमान समय में उनके घरों को छोड़कर, बाड़ी आदि जहां पर उन लोगों ने जीविका का साधन साग-सब्जी लगा रखे हैं, एस.ई.सी.एल. प्रबंधन द्वारा डोजर चलवाकर नष्ट कर दिया जा रहा है।

जब भी ग्रामीणजन एस.ई.सी.एल. प्रबंधन की तानाशाहीपूर्ण कार्यशैली का विरोध करने के लिए एकत्र होते है, पुलिस बल की उपस्थिति में एस.ई.सी.एल. प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों को समझाईश दिए जाने के साथ ही मात्र आश्वासन दिए जाते हैं और कुछ दिनों का समय लेकर आश्वासन को पूरा करवाने की बात कही जाती है।

लेकिन आज तक प्रबंधन द्वारा किसी भी आश्वासन को पूरा नहीं करवाया गया है, ऐसी स्थिति में उनका कहना है कि वे सभी घर खाली करके परिवार के साथ कहां जाएं। ग्रामीणों ने इस दिशा में एस.ई.सी.एल. प्रबंधन से प्राथमिकता के आधार पर सकारात्मक दृष्टिकोंण अपनाए जाने की अपेक्षा की है।

जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में सवाल उठाया है कि उपर्युक्त समस्याओं के समाधान हेतु भारत सरकार, खान मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में जिला खनिज न्यास संस्थान का गठन किया गया था जिसमें खनन गतिविधियों से प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के नागरिकों को तत्काल राहत पहुंचाने की दृष्टि से वर्ष 2024 में उसमें आवश्यक संशोधन करते हुए ‘प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना, 2024‘ को उसमें समाहित किया गया।

खनन गतिविधियों से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के लिए संशोधित योजना प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना, 2024 (पीएमकेकेकेवाई 2024) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहे परिवारों के लिए आवश्यक समस्त बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराया जाना चाहिए लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।

अतएव उपर्युक्त परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार से अपेक्षा की गई है कि कोरबा जिला के कुसमुण्डा खदान क्षेत्र विस्तार परियोजना से तत्कालिक रूप से प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित होने वाले ग्राम चन्द्रनगर (जटराज) के ग्रामीणों को विस्थापित किए जाने से पूर्व उनके लिए पुनव्र्यस्थापन के तहत उचित मुआवजा राशि का भुगतान, बसाहट के साथ प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना, 2024 (पीएमकेकेकेवाई 2024) में किए गए प्रावधानों के अनुरूप आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के साथ ही पात्रतानुसार रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने से पहले ग्राम चन्द्रनगर (जटराज) से विस्थापित होने के लिए उन्हें विवश न किया जाए।

उम्मीद जताई गई है कि इस संबंध में विश्वास है कि मानवीय संवेदनाओं को सर्वोपरि स्थान देते हुए समस्त संबंधितों को तत्काल आवश्यक कदम उठाने के लिए प्राथमिकता के आधार पर स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएंगे।

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