अभनपुर/ एक पेड़ माँ के नाम एक विशेष देशव्यापी वृक्षारोपण अभियान है जिसे 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस पर शुरू किया गया था, इस अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को अपनी माँ के प्रति प्रेम, आदर और सम्मान के प्रतीक के रूप में एक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और पेड़ों और धरती माँ की रक्षा करने का संकल्प भी लिया गया। वही दूसरी ओर नया रायपुर परिक्षेत्र के रेंजर तीर्थ राज साहू और अभनपुर डिप्टी रेंजर ईलिसबा खेस इस योजना के विपरीत पेड़ काटो जेब भरो अभियान को बढ़ावा देकर अभनपुर को वृक्षविहीन इलाका बनने की ओर ले जा रहे है।
क्या है पूरा मामला
कुछ दिन पहले अभनपुर सिग्नल के पास रात को पब्लिक स्वर की टीम गुजर रही थी तभी देखा गया कि सिगनल के पास धमतरी रोड नया बस स्टैंड के पास शुक्ला टिंबर मिल के अंदर लाल रंग की ट्रेक्टर अर्जुन लकड़ी से भरी हुई अंदर जा रही थी जिसकी सूचना रेंजर को दी गई। इस दौरान रेंजर ने स्टाफ भेज रहा हूं बोलके पल्ला झाड़ दिया करीबन कई घंटे तक पब्लिक स्वर की टीम वन विभाग के महकमे का इंतजार करते रहे पर साहब तो साहब उनके कर्मचारी भी नहीं आए।
अब आप इससे अंदाजा लगा सकते है कि वन विभाग के रेंजर, डिप्टी रेंजर और आरामिल मालिकों का सम्बन्ध कितना मधुर है। बतादे कि हाल ही में पब्लिक स्वर समाचार के पत्रकार द्वारा डिप्टी रेंजर अभिषेक श्रीवास्तव से राजस्व द्वारा जप्त अर्जुन लकड़ी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह लकड़ी राकेश साहू जो कि बालाजी टिंबर मिल संचालक का बताया और उनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं पाया गया ये जानकारी डिप्टी रेंजर द्वारा बताया गया।
साथ ही रेंजर तीर्थराज का कहना है कि लकड़ी का अवैध परिवहन वन विभाग की जवाबदारी नहीं है इसके लिए पुलिस को बोलों, बतादे कि रेंजर तीर्थराज साहू और डिप्टी रेंजर ईलिसबा खेस ऐसे दो जिम्मेदार लोग हैं जिसके कारण अभनपुर क्षेत्र में वृक्ष विलुप्त की कगार पर है। साथ ही जानकारी है कि डिप्टी रेंजर एलिसबा खेस अपने मुख्यालय अभनपुर से गायब रहती है वही दूसरी ओर गर्मी के मौसम के साथ ही आम मौसम में भी वृक्षों की कटाई से लगातार टेंपरेचर बढ़ते जा रहा है। पानी के लिए जीव जंतु और लोग तड़प रहे हैं, बावजूद इसके ये लोग कार्यालय में बैठ के कुंभकर्ण की तरह निंद्रा अवस्था में चले गए है।
साथ ही बताना जरूरी है कि बरसात के दिनों में पानी की तेज गति और मिट्टी के कटाव को रोकना वृक्षों के बिना असंभव प्रतीत होता है। अब देखना यह रहेगा की क्या विभाग इन जिम्मेदारों पर करवाई करती है या फिर अभनपुर परिक्षेत्र के लोगों और वन्य जीव जंतुओं को बिना वृक्षों के ही रहना पड़ेगा।