वन नेशन वन राशनकार्ड का नहीं मिल रहा लाभ
कोरबा। शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में चना वितरण को लेकर उपभोक्ताओं और पीडीएस संचालकों के बीच कहा-सुनी और नोक-झोक बढ़ने लगी है। सरकारी चना प्राप्त करने के लिए जहां कार्डधारी, दुकानदारों से बहस कर रहे हैं तो वहीं दुकानदार की मजबूरी है कि वह चना वितरण नहीं कर पा रहा है। इसकी बड़ी वजह चना का आवंटन आधा- अधूरा होना बताया जा रहा है जिसकी वजह से पीडीएस संचालकों के सामने मजबूरी है कि वह अपने मूल कार्डधारकों को ही चना प्रदान कर पा रहा है, किंतु ऐसे कार्डधारी जिन्होंने उस दुकान से राशन प्राप्त करने के लिए वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना के तहत पोर्ट कराया हुआ है उन्हें दुकानदार चना नहीं दे पा रहा है। कारण है कि अतिरिक्त कार्डधारकों का चना नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा दुकानदारों को आवंटित नहीं किया गया है।
इसे इस तरह समझें कि जैसे किसी पीडीएस में 1000 उसके मूल राशन कार्ड धारी दर्ज हैं और 500 ऐसे कार्ड हैं जिन्होंने अपना राशन कार्ड उक्त दुकान के लिए पोर्टेबिलिटी कर लिया है और उसी दुकान से वह चावल, शक्कर, चना प्राप्त करते हैं। पूर्व में मूल राशन कार्ड धारी सहित पोर्टेबिलिटी कराए गए कार्ड को मिलाकर उन सभी के मान से 1500।कार्ड का चावल, शक्कर, चना दिया जाता रहा है किंतु पिछले कुछ महीनो से चना का आवंटन मूल कार्ड धारी के लिए किया गया है जिसकी वजह से पोर्टेबिलिटी वाले कार्ड धारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्हें चावल और शक्कर तो मिल रहा है लेकिन चना नहीं दिया जा रहा। ऐसे में चना प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने मूल उचित मूल्य की दुकान जाने की मजबूरी है और भटकाव होने के साथ-साथ दुकानदारों से विवाद व टकराव भी हो रहा है।
इस तरह के हालात सभी पीडीएस दुकानों में निर्मित हो रहे हैं। पीडीएस संचालक की मजबूरी है कि वह पहले आने वाले राशन कार्ड धारकों को चना आवंटित कर पा रहा है और चना खत्म होने के बाद शेष कार्ड धारक अपने हिस्से का चना मांगते हैं तो विवाद उत्पन्न होता है। नागरिक आपूर्ति निगम जहां पूर्ण मात्रा में चना आवंटन नहीं कर रहा वहीं दूसरी तरफ खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम को आवंटन के लिए पत्र लिखे गए हैं किंतु कोई जवाब नहीं मिला है और ना कोई हल निकला है। उपभोक्ताओं का कहना है कि सरकार उन्हें चना देना चाहती है तो सभी को दे वरना चना का वितरण करना बंद कर दे।
सूत्र बताते हैं कि चना आवंटन का ठेका जिसे प्राप्त हुआ है, उसके द्वारा स्टाक नहीं होने का हवाला देकर अपना लाभ कमाने के लिए डंडी मारी जा रही है। अब इसमें कितनी हकीकत है यह तो आपूर्तिकर्ता और नान जाने, लेकिन चना को लेकर उपभोक्ताओं और पीडीएस संचालकों में तकरार बढ़ रही है व जनप्रतिनिधियों को भी बीच में आना पड़ रहा है। ऐसे में पीडीएस संचालकों की छवि भी खराब हो रही है और उन पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं जिससे वह परेशान हैं।