Monday, June 9, 2025

एनटीपीसी कोरबा के राखड़ बांध से परेशान ग्रामीणों ने दिया धरना

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कोरबा। ग्राम पंचायत लोतलोता चारपारा व पुरेनाखार के भू- विस्थापितों ने ग्रामीणों ने एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा किए जा रहे वादा खिलाफी को लेकर धनरास राख़ड़ पाईप लाईन के चोरभट्टी के पास धरना प्रदर्शन किया। इसके साथ ही चार सूत्री मांग रखी।

कोरबा जिले के धनरास गांव में एनटीपीसी द्वारा बनाए जा रहे राखड़ डैम को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। लगातार तीन दिनों से शांतिपूर्ण धरना दे रहे ग्रामीणों ने आज 5 जून को राखड़ डैम का काम रोक दिया। इस आंदोलन में कटघोरा विधायक और जनपद अध्यक्ष भी ग्रामीणों के समर्थन में शामिल हुए। आंदोलनकारियों का आरोप है कि एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा राखड़ डैम निर्माण के लिए उनकी उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया गया, लेकिन पूर्व में किए गए वादों को पूरा नहीं किया गया।

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि राखड़ डैम से उड़ती राख के कारण आसपास के गांवों – धनरास, पुरैनाखार, झोरा, छुरीखुर्द, घोरापाठ, घमोटा और लोतलोता – में रहना दूभर हो गया है। मानसून पूर्व मौसम में तेज हवाओं के साथ राख दूर-दूर तक फैल रही है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के साथ-साथ खेतों में फसल भी प्रभावित हो रही है। राखड़ डैम से हो रही सीपेज के चलते कई क्षेत्रों की कृषि योग्य भूमि दलदल में तब्दील हो चुकी है, जिससे किसान धान की फसल नहीं ले पा रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि 28 अक्टूबर 2024 को एनटीपीसी प्रबंधन ने प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में प्रभावितों के साथ एक समझौता किया था, जिसमें विस्थापितों को रोजगार, मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना, राख समस्या का समाधान और मुआवजा जैसी शर्तें शामिल थीं। लेकिन इन मांगों में से एक भी वादा अब तक पूरा नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी सात सूत्रीय मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, आंदोलन जारी रहेगा।

धरने में शामिल महिलाओं ने भी स्पष्ट कहा है कि अब वे चुप नहीं बैठेंगी। बच्चों की सेहत, घरों में घुसती राख और बर्बाद होती खेती ने उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकाला गया, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

ग्रामीणों की सात प्रमुख मांगों में राख उड़ने से निजात, विस्थापितों को रोजगार, बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता, सीपेज रोकने के उपाय, बर्बाद हुई खेती का मुआवजा, समझौते का पालन और डैम निर्माण में ग्रामीणों की सहमति शामिल हैं। अब देखना होगा कि एनटीपीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन इस जनआक्रोश पर क्या कदम उठाते हैं।

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