अभियुक्त द्वारा परिवादी के पक्ष में जारी चैक दिनांक 03/04/2021 राशि 4,00,000/- रूपये परिवादी द्वारा बैंक में प्रस्तुत किये जाने पर बैंक खातें में अपर्याप्त राशि होने के कारण अनादरित हुआ। परिवादी द्वारा मांग नोटिस भेजने के उपरांत भी उक्त राशि परिवादी को अदा नहीं की गई अर्थात परिवादी उपरोक्त तथ्यों को स्थापित एवं प्रमाणित करने में सफल रहा है, परिणाम स्वरूप अभियुक्त भवानी शंकर पाण्डेय को धारा 138 परकाम्य लिखित अधिनियम के अपराध में दोषसिद्ध किया गया है।”
बिलासपुर। न्यायालय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मामले के शिकायकर्ता (आवेदक) विजय ताम्रकार पिता जी.पी. ताम्रकार, उम्र लगभग 38 वर्ष, निवासी ओम नगर, जरहाभाटा, पी.एस. सिविल लाइन, तहसील एवं जिला बिलासपुर (छ.ग.) ने अपने अधिवक्ता आशीष पांडे के माध्यम से आरोपी भवानी शंकर पांडे पुत्र सनत कुमार पांडे, उम्र लगभग 35 वर्ष, निवासी बस स्टैंड, नेवरा, तहसील कोटा, जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के विरुद्ध परिवाद पेश किया था।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, बिलासपुर पीठासीन अधिकारी अंशुल मिंज के न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण में परिवादी के अधिवक्ता आशीष पांडेय ने न्यायालय को बताया कि आरोपी के कारण परिवादी को आर्थिक क्षति हुई है तथा लगभग चार वर्ष से उसे आर्थिक व मानसिक परेशानी हुई है। अभियुक्त ने यह उसका प्रथम अपराध होना बताते हुए सद्भावनापूर्वक विचार करते हुए न्यूनतम दंड का आग्रह अपने अधिवक्ता के माध्यम से किय्या।
न्यायालय ने पाया कि प्रकरण 2021 से लंबित है, परिवादी को आरोपी के आचरण के कारण आर्थिक क्षति के साथ-साथ मानसिक क्लेश होना भी दर्शित है। परिवादी ने आरोपी के कथन पर विश्वास करते हुए उसे ऋण दिया था, आरोपी के द्वारा अपने वचन का पालन न करते हुए और यह जानते हुए कि उसके बैंक में पर्याप्त राशि नहीं है, परिवादी को चेक जारी किया जो अनादरित हुआ। उपरोक्त परिस्थिति पर विचार उपरांत आरोपी को दंडित किया गया है। आरोपी भवानी शंकर पाण्डेय, को धारा 138 परकाम्य लिखित अधिनियम के अपराध में छः माह का सश्रम कारावास एवं 5,00,000/- रूपये (पांच लाख रूपये) अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। उक्त जुर्माने की राशि अदा न करने पर आरोपी को एक माह का सश्रम कारावास पृथक से भुगताया जावेगा। राशि आदेश पारित होने से दो माह के भीतर देय होगी।