कोरबा, छत्तीसगढ़।
कोरबा जिले में रेत तस्करी अपने चरम पर है और प्रशासनिक कार्रवाई महज दिखावा बनकर रह गई है। हसदेव नदी से रेत का अवैध खनन लगातार जारी है, जिससे न सिर्फ नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी गहरा नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। ट्रैक्टर की रॉयल्टी दिखाकर बड़े ट्रेलरों और टिप्परों से रेत का परिवहन हो रहा है, जिससे खनिज अधिनियम का खुला उल्लंघन हो रहा है।
हाल ही में कुछ टिप्परों और हाईवे पर चल रहे ट्रेलरों को जब्त भी किया गया, लेकिन यह कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरे जैसी साबित हो रही है। 24 घंटे रेत से भरे ट्रैक्टर और टिप्पर कोरबा शहर में बेधड़क दौड़ रहे हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अवैध कारोबार में कुछ प्रभावशाली लोगों का भी संरक्षण प्राप्त है, जिससे संबंधित अधिकारियों की कार्रवाई निष्क्रिय बनी हुई है।
हसदेव नदी की सेहत पर संकट
नदी से रेत की अत्यधिक निकासी ने उसकी जलधारा को कमजोर किया है, जिससे आने वाले समय में जल संकट और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है।
आवश्यकता है कठोर कार्रवाई की
जनहित में यह आवश्यक हो गया है कि जिला प्रशासन और खनिज विभाग सख्ती से कार्रवाई करें और सत्ता के संरक्षण में फल-फूल रहे इस रेत माफिया तंत्र को तोड़ा जाए।
नाबालिगों से चलवाए जा रहे ट्रैक्टर: कोरबा में रेत तस्करी का नया चेहरा उजागर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले के कई ग्रामीण और शहरी इलाकों में नाबालिग बच्चों से ट्रैक्टर चलवाकर रेत की ढुलाई कराई जा रही है। यह पूरी तरह से गैरकानूनी है और मोटर व्हीकल एक्ट एवं बाल अधिकार कानून का उल्लंघन है। कई ड्राइवर के पास तो लाइसेंस भी नहीं होते हैं और नाही ट्रैक्टरों में नंबर लिखे हुए होते हैं ट्रैक्टरों में नंबर ही लापता रहते हैं दुर्घटना होने पर ट्रैक्टर वहीं छोड़कर ड्राइवर भाग जाते हैं नंबर ना होने की वजह से पता ही नहीं चल पाता कि किसने दुर्घटना को किया है
कानून का खुला उल्लंघन
ट्रैक्टर में लगे नंबरों की जाँच करने पर पाया गया कि अधिकतर वाहनों की रॉयल्टी ट्रैक्टर की होती है, लेकिन उस पर बड़े ट्रेलर और टिप्पर जैसे भारी वाहन दौड़ाए जा रहे हैं। कई बार बिना लाइसेंस वाले नाबालिग चालक ट्रैफिक नियमों की परवाह किए बिना मुख्य सड़कों पर ट्रैक्टर दौड़ाते दिखते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
प्रशासन मौन, माफिया बेलगाम
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस कार्य में संलिप्त कई रेत माफिया सत्ता पक्ष से जुड़े हैं, जिस कारण पुलिस और परिवहन विभाग की ओर से कोई कठोर कार्रवाई नहीं हो रही है। जब भी कार्यवाही होती है, तो छोटे वाहन या ड्राइवर निशाने पर आते हैं, असली गुनहगारों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है।