कोरबा। एसईसीएल की अस्पतालों में साधन और संसाधन की कमी है। न तो विशेषज्ञ डॉक्टर हैं, न ही जरुरी दवाइयां। छोटे ऑपरेशन भी बंद हैं। कंपनी के अस्पताल रेफर सेंटर की तरह काम कर रहे हैं। इससे कोल कर्मी और उनके परिजनों को परेशानी हो रही है। अस्पताल में घटती सुविधाओं से कोयला कर्मी नाखुश हैं। इसका खुलासा कोल इंडिया की वेलफेयर कमेटी के निरीक्षण में भी हो चुका है। अस्पतालों में सुविधाओं की कमी को देखते हुए प्रबंधन ने आउटसोर्सिंग का दायरा बढ़ा दिया है। कोल इंडिया ने देश के अलग-अलग शहरों में संचालित बड़े अस्पतालों से अनुबंध किया है।एसईसीएल की अलग-अलग खदानों में लगभग 11 हजार कोलकर्मी कार्यरत हैं। इसमें अफसर और मजदूर शामिल हैं। सबसे अधिक मजदूर कोरबा एरिया के अधीन अलग- अलग भूमिगत खदानों में काम करते हैं। खान दुर्घटना या अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने पर कंपनी बाहर रेफर करती है। सबसे अधिक मरीज बिलासपुर रेफर किए जाते हैं। मुड़ापार अस्पताल के अलावा गेवरा के एनसीएच में जरूरत के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं बढ़ी है। एसईसीएल की अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने की मांग ट्रेड यूनियन की ओर से अलग-अलग मंचों पर की जाती रही है। प्रबंधन ने हर बार यूनियन को आश्वासन दिया है कि जरूरत के अनुसार गेवरा के नेहरू शताब्दी अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। मगर उम्मीद के अनुसार आज भी एनसीएच में इलाज की सुविधा नहीं है, बल्कि कुसमुंडा के विकास नगर स्थित अस्पताल में भी सुविधा नहीं है।
कोरबा एरिया में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। कोरबा एरिया का सबसे बड़ा अस्पताल मुड़ापार में है। मगर यह अस्पताल सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इतने बड़े अस्पताल में एक एमडी मेडिसिन तक नहीं है। गॉयनेकोलॉजिस्ट की कमी है। जनरल फिजिशियन के भरोसे कोलकर्मी और उसके परिजन यहां इलाज कराने आते हैं। मुड़ापार अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर है। मगर ऑपरेशन नही होता है। जरुरत पडऩे पर बाहर बिलासपुर या रायपुर रेफर किया जाता है।