कोरबा, 10 जून 2025 : जिले के करतला विकासखंड के कुदमुरा गांव में रेत को लेकर गंभीर विवाद का मामला सामने आया है, जिसमें एक निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि को न केवल अपमानित किया गया, बल्कि उसे सार्वजनिक रूप से गंदी गालियां दी गईं और चरित्र हनन की भाषा तक का इस्तेमाल किया गया। यह घटना कुदमुरा की वार्ड क्रमांक 5 की पंच गीता यादव के साथ घटी, जब वह अपने निजी निर्माण कार्य के लिए रेत लेने मांड नदी घाट पहुंचीं थीं।
गीता यादव ने करतला थाना में दर्ज कराई शिकायत में बताया कि वह अपने मकान निर्माण के लिए रेत लाने गई थीं, लेकिन कथित रेत ठेकेदार नटवर लाल शर्मा ने उन्हें “छोटी गाड़ी में रेत नहीं देते” कहते हुए वहां से भगा दिया और सार्वजनिक रूप से उनके चरित्र पर लांछन लगाते हुए भद्दी गालियाँ दीं। आरोपी ने मां-बहन की गंदी गालियां देकर उन्हें बुरी तरह अपमानित किया और धमकाया कि वह दोबारा घाट पर न दिखें।
इस घटना को लेकर करतला थाना पुलिस ने आरोपी नटवर लाल शर्मा के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 296 (लोक सेवक को डराना-धमकाना) और 351(3) (महिला को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना व धमकी देना) के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।
महिला जनप्रतिनिधि के सम्मान पर हमला
एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनी हुई महिला पंच के साथ ऐसा दुर्व्यवहार पूरे पंचायत तंत्र और महिला सशक्तिकरण की भावना पर करारा तमाचा है। पीड़िता गीता यादव का कहना है कि रेत माफिया खुलेआम घाट पर मनमानी कर रहे हैं और पंचायत प्रतिनिधियों की कोई अहमियत नहीं रह गई है।
एनजीटी और खनिज नियमों का खुला उल्लंघन
बताया जा रहा है कि मांड नदी का यह घाट पंचायत के नाम पर स्वीकृत है, लेकिन असल में इसका संचालन फर्जी ठेकेदार कर रहे हैं। रेत का खनन पूरी तरह से अवैध तरीकों से किया जा रहा है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि नदी में केवल हैंड लोडिंग (मानव श्रम से रेत भराई) की अनुमति होती है, पोकलेन या अन्य भारी मशीनों का उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित है। साथ ही स्वीकृत रेत घाट पर केवल 3 मीटर गहराई तक या जहां पानी का प्रवाह प्रारंभ हो वहां तक ही उत्खनन की अनुमति है।
इसके विपरीत, कुदमुरा घाट पर पोकलेन मशीन से रात-दिन नदी का सीना चीरकर गहराई तक रेत निकाली जा रही है, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।
कोरबा में धड़ल्ले से खपाई जा रही है कुदमुरा की रेत
स्थानीय सूत्रों की मानें तो कुदमुरा घाट से प्रतिदिन हाइवा ट्रकों में अवैध रूप से रेत भरकर कोरबा शहर लाया जा रहा है, जहां यह ऊंचे दामों पर खपाई जा रही है। यह पूरा खेल कुछ कथित प्रभावशाली ठेकेदारों द्वारा चलाया जा रहा है।
भाजपा शासनकाल की ‘पंचायत संचालित रेत नीति’ फेल
रेत माफियाओं के कब्जे और इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भाजपा शासनकाल में लागू की गई ‘गौण खनिज पंचायत संचालन नीति’ सिर्फ कागजों तक सीमित है। जमीनी स्तर पर न तो पंचायत को कोई वास्तविक अधिकार मिल पाया है, न ही स्थानीय जनता को सस्ता रेत मिल रहा है।
आरोपी की गिरफ्तारी और घाट पर कार्रवाई की मांग
इस पूरे मामले ने ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। उन्होंने आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी और घाट की जांच कर अवैध संचालन पर रोक लगाने की मांग की है। यदि प्रशासन अब भी निष्क्रिय रहा, तो यह माफिया तंत्र और भी बेलगाम होता जाएगा।