कोरबा: सीएम विष्णुदेव साय ने जैसे ही रायपुर के मंत्रालय से सीजीबीएसई बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित किए. कोरबा में जश्न का माहौल हो गया.दसवीं के मेरिट सूची में कोरबा के तीन बच्चों ने स्थान पक्का किया है. नौवें स्थान पर डिंपल और आस्था ने स्थान बनाया. दसवें स्थान पर छुरी के निखिल कुमार रहे.डिंपल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रयास की छात्रा है. जो मूलत: धमतरी की है और वर्तमान में धमतरी में है.
“बहन से मिली प्रेरणा, अब डॉक्टर बनना सपना”: नौवें स्थान पर ही कोसा बाड़ी के निर्मला इंग्लिश हायर सेकेंडरी स्कूल की स्टूडेंट आस्था केसरवानी भी रहीं. जिन्हें 97.83 फीसदी अंक मिले है. आस्था की बहन ने भी 2 साल पहले बोर्ड की परीक्षा में इसी तरह का प्रदर्शन किया था. आस्था को मेरिटोरियस स्टूडेंट बनने की प्रेरणा घर से ही मिली, अब वह डॉक्टर बनना चाहती है.

पिता करते हैं मेडिकल स्टोर का संचालन: आस्था सामान्य परिवार से आती हैं, भरा पूरा परिवार है, जैसे ही लोगों को खबर मिली कि आस्था ने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के मेरिट सूची में स्थान बना लिया है. घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया. आस्था के पिता लक्ष्मी गुप्ता मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं.अपनी सफलता पर आस्था ने बताया है कि वह सामान्य तौर पर ही अन्य बच्चों की तरह ही पढ़ाई करती थी. सामान्य दिनचर्या का पालन करती थी, लेकिन पढ़ाई के समय पूरी एकाग्रता के साथ से 8 घंटे का समय वह किताबों को देती थी. उन्होंने कहा कि लगातार पढ़ाई करते रहने से यह सफलता मिली है.
मेरी दीदी मेरे ज्यादातर डाउट क्लियर करती थी. पापा से भी प्रेरणा मिली, लेकिन दीदी ने मेरी बहुत सहायता की. अब मेरा अगला लक्ष्य बायो लेकर पढ़ाई करने का है. मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं और मेडिकल फील्ड में भी सेवा देना चाहती हूं. अपनी सफलता का श्रेय मैं माता-पिता के साथ दीदी और शिक्षकों को भी देना चाहूंगी.- आस्था केसरवानी, 10वीं बोर्ड की रैंक होल्डर, सीजीबीएसई बोर्ड

“बिटिया को डॉक्टर बनाएंगे, कभी सेकंड आई ही नहीं” : आस्था के पिता लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता अपनी बिटिया की सफलता से काफी खुश हैं. जिन्होंने बताया कि हम तो बेहद खुश हैं. लगातार रिश्तेदारों के भी फोन आ रहे हैं, बेटी लगातार 8 से 9 घंटे पढ़ाई करती थी. हमने कभी किसी तरह की बंदिश नहीं लगाई अपने हिसाब से वह पढ़ने रहती थी, मेरी बड़ी बेटी भी इसी तरह से मेरिटोरियस स्टूडेंट है और जो उसके डाउट क्लियर करती थी. आस्था अभी जब मेरिट में आई है, लेकिन हमें पहले ही उम्मीद थी. जब से वह स्कूल में पढ़ाई कर रही है, नर्सरी से लेकर क्लास 10th तक, वह कभी सेकंड आई ही नहीं. वह हर साल कक्षा में फर्स्ट ही आती है और हम चाहते हैं. हमारे परिवार का लक्ष्य है कि उसे चिकित्सा के क्षेत्र में भेजें, बेटी को डॉक्टर बनाएंगे.