रायपुर: छत्तीसगढ़ का 54 करोड़ का बैंक घोटाला: बड़ी कंपनियों पर शिकंजा, छत्तीसगढ़ के चर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में एक नया मोड़ आ गया है। बैंक से 54 करोड़ रुपये का लोन लेकर उसे न चुकाने वाली आधा दर्जन बड़ी कंपनियों और उनके संचालकों को आरोपी बनाने के लिए रायपुर की एक अदालत में अर्जी दाखिल की गई है। आरोप है कि इन कंपनियों ने बैंक से लोन की रकम लेकर उसे शेयर बाजार में लगा दिया, जिसके चलते बैंक दिवालिया हो गया और हजारों खाताधारकों की जमा-पूंजी डूब गई।
क्या है पूरा मामला
यह मामला साल 2007 का है, जब इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में हुए इस बड़े घोटाले का खुलासा हुआ था। जगदलपुर के याचिकाकर्ता नीरज जैन ने अपनी अर्जी में बताया है कि रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और जगदलपुर की कई बड़ी फर्मों ने बैंक से करोड़ों का लोन लिया, लेकिन उसका इस्तेमाल उस काम के लिए नहीं किया जिसके लिए वह लिया गया था। आरोप है कि पूरी रकम को शेयर बाजार में लगाकर निजी मुनाफा कमाया गया और बैंक को जानबूझकर डुबा दिया गया।छत्तीसगढ़ का 54 करोड़ का बैंक घोटाला: बड़ी कंपनियों पर शिकंजा
पुलिस और अभियोजन की भूमिका पर उठे सवाल
इस मामले में तत्कालीन बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट भी कराया गया था, जिसमें कई रसूखदारों के नाम सामने आए थे। मामला ठंडे बस्ते में जाने के बाद 2023 में इसे फिर से खोला गया। जांच शुरू होने पर कुछ संचालकों ने लगभग ढाई करोड़ रुपये सरेंडर भी किए, लेकिन इसके बावजूद पुलिस और अभियोजन पक्ष ने उन्हें मामले में आरोपी नहीं बनाया। इसी को आधार बनाकर अब याचिकाकर्ता ने पुलिस और अभियोजन पक्ष की भूमिका की भी जांच की मांग की है।छत्तीसगढ़ का 54 करोड़ का बैंक घोटाला: बड़ी कंपनियों पर शिकंजा
इन बड़ी कंपनियों और संचालकों पर हैं आरोप
अधिवक्ता यूबी पांडेय के माध्यम से दायर की गई अर्जी में इन प्रमुख फर्मों और उनके संचालकों को आरोपी बनाने की मांग की गई है:
- जय बजरंग ग्रुप, जगदलपुर: संचालक श्याम सोमानी
- एनआरआई पावर स्टील, बिलासपुर
- किस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड: संचालक एलामंचली राजशेखर, कमला और रविशंकर
- इस्कॉन स्ट्रिप्स, रायपुर: संचालक पन्नालाल बंसल और आकाश बंसल
- गणपति स्पंज आयरन लिमिटेड, रायपुर: संचालक आशीष गोयल, विकास गोयल और बृजेश गोयल
- नर्मदा इंफोटेक एंड पावर प्रोडक्ट्स: संचालक पवन गुप्ता और ऋतु गुप्ता
इस नई कानूनी कार्रवाई से सालों से न्याय का इंतजार कर रहे खाताधारकों में एक बार फिर उम्मीद जगी है। अब देखना यह होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या इन बड़े औद्योगिक घरानों के संचालकों पर कानूनी शिकंजा कसेगा।छत्तीसगढ़ का 54 करोड़ का बैंक घोटाला: बड़ी कंपनियों पर शिकंजा