Tuesday, June 10, 2025

संजयनगर अंडरपास बनने के बाद भी सोनालिया पुल के जाम से जनता को नहीं मिलेगी निजात

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संजयनगर अंडरपास बनने के बाद भी सोनालिया पुल के जाम से जनता को नहीं मिलेगी निजात

DMF का 15 करोड़ रुपया होगा खर्च, सांसद- विधायक जिम्मेदार

कोरबा । संजयनगर रेलवे फाटक पर अंडरपास बन जाने के बाद भी सोनालिया पुल पर लगने वाले जाम से आम जनता को निजात नहीं मिलेगी। तीस करोड़ रुपयों से बनने वाले अंडरपास में रेलवे 15 करोड़ रुपये व्यय करेगा और 15 करोड़ रुपये डी एम एफ कोरबा से खर्च किया जाएगा। डी एम एफ के इस अपव्यय के लिए कोरबा सांसद और जिले के विधायक जिम्मेदार हैं, जो डी एम एफ शासी परिषद के सदस्य हैं।

कलेक्टर अजित वसंत ने रविवार को पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में कहा कि केन्द्र सरकार और रेलवे की सभी रेलवे क्रासिंग पर अंडरपास बनाने की नीति है। इसी नीति के तहत अंडरपास बनाया जा रहा है। आम नागरिकों की मूल समस्या का समाधान नहीं होने पर भी डी एम एफ की राशि प्रदाय के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि सांसद – विधायक ने पास किया है। कलेक्टर ने बताया कि अंडरपास निर्माण की निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में है। शीघ्र ही निर्माण कार्य प्रारंभ कर लिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य सेतु विकास निगम ने इस अंडरपास की योजना बनाई है। 30 करोड़ रूपयों से अधिक लागत की इस योजना के लिए रेलवे की ओर से 15 करोड रुपए दिए जा रहे हैं जबकि शेष राशि कोरबा जिला प्रशासन डीएमएफ से उपलब्ध कराएगा।

जब, यह योजना बनाई गई थी, तब कहा गया था कि इसके पूर्ण हो जाने पर सोनालिया पुल का जाम खत्म हो जाएगा। लेकिन अब केन्द्र सरकार और रेलवे की पालिसी के तहत निर्माण करना बताया जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि योजना की 50 फीसदी राशि राज्य शासन या नगर पालिक निगम मद से दिया जाना था। लेकिन, यह राशि डी एम एफ से दी जा रही है। राशि का आबंटन शासी परिषद के अनुमोदन से ही होगा, लेकिन क्या सच में यह योजना भी जन – प्रतिनिधियों ने बनाई है? न्यूज एक्शन ने इस संबंध में शताधिक लोगों से बात की तो 90 फीसदी लोगों ने माना कि अंडरपास, शहर की मुख्य समस्या जाम का समाधान नहीं है। इतना ही नहीं लोगों का तो यह भी कहना है कि साल दो साल में रेल कारीडोर से गेवरा दीपका तक ट्रेन का परिचालन प्रारंभ हो जाएगा, उसके बाद रेलवे क्रॉसिंग कोई समस्या नहीं ही नहीं होगी। क्योंकि कोयले की सभी गाड़ियां नई रेल लाइन पर दौड़ेंगी। लोग पूछ रहे हैं कि यातायात को ओवर ब्रिज में डायवर्ट करने की कोशिश क्यों नहीं की जा रही है? शासन के 30 करोड़ रुपए क्यों बर्बाद किए जा रहे हैं? एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि सांसद और विधायकों से पूछा जाना चाहिए कि उन्हें समस्या की कितनी समझ है और समाधान तलाशने का उनमें कितना विवेक है? एक जानकार ने कहा कि ऐसी ही एक ओवर ब्रिज की योजना स्टेशन के निकट रेलवे क्रॉसिंग के लिए बनाई गई है l जबकि भारी वाहनों के लिए दाई तट नहर मार्ग बन चुका है।

प्रशासन की कार्यप्रणाली का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग की जमीन पर बेजा कब्जा कर निवास कर रहे लोगों को मुआवजा देकर अंडरपास के लिए जमीन खाली कराई गई है। लेकिन प्रशासन के पास अपना तर्क है और नेताओं की अपनी अपनी मजबूरी। शासी परिषद के सदस्यों से पूछा जाना चाहिए कि डी एम एफ की राशि खर्च करने की उन्हें जितनी चिंता रहती है, उतनी ही चिंता डी एम एफ के कार्यों का विवरण वेब साइड में अपलोड कराने और डी एम एफ में सूचना का अधिकार कानून लागू कराने की क्यों नहीं है? दाल में कुछ काला तो नहीं है या फिर पूरी दाल ही तो काली नहीं है?

डी एम एफ केन्द्र सरकार की योजना है। इसके उपयोग को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। केन्द्र ने, प्रत्यक्ष प्रभावित और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों की स्पष्ट परिभाषा बताया है। लेकिन केन्द्र सरकार को अंगूठा दिखाते हुए डी एम एफ की राशि का मनमाना उपयोग किया जा रहा है। बहरहाल इस मामले में प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री और कद्दावर भाजपा नेता ननकी राम कंवर ने प्रधानमंत्री से शिकायत की है और डी एम एफ के कार्यों की जांच कराने की मांग की है। देखना होगा कि PMO की ओर से क्या कदम उठाया जाता है।

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