कोरबा वनमंडल के कनकी ग्राम में शुक्रवार रात 10 बजे एक अत्यंत विषैला साँप रसेल वाइपर (Daboia russelii) देखे जाने पर वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी की टीम ने त्वरित रेस्क्यू अभियान चलाकर उसे सुरक्षित पकड़ा। SDO आशिष खेलवार के निर्देशन में वरिष्ठ रेस्क्यूअर जितेन्द्र सारथी व राजू बर्मन ने मौके पर पहुंचकर वैज्ञानिक प्रोटोकॉल के तहत साँप को शांतिपूर्वक पकड़ा और सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा। इस दौरान किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई। ग्रामवासियों को साँप की पहचान, व्यवहार और बचाव के तरीके भी बताए गए।
रसेल वाइपर- जिसे भारत के चार सबसे विषैले साँपों में गिना जाता है, अक्सर अजगर समझ लिया जाता है। यह अत्यंत गुस्सैल होता है और खतरे में प्रेशर कुकर जैसी आवाज निकालता है। इसका ज़हर हिमोटॉक्सिक होता है जो रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया को बाधित करता है। सही समय पर उपचार मिलने पर इसके दंश से बचा जा सकता है। इसका ज़हर पॉलीवेलेंट एंटी वेनम निर्माण में भी प्रयोग होता है।
रेस्क्यू करने पहुंचे जितेंद्र सारथी ने बताया कि ऐसे साँप खेतों में चूहों की संख्या नियंत्रित कर जैविक संतुलन बनाए रखते हैं, जिससे कीटनाशकों की जरूरत घटती है। यह जानकारी ग्रामीणों के लिए नई और उपयोगी रही।
वन विभाग ने अपील की कि साँपों से घबराएं नहीं, बल्कि तत्काल वन अमले को सूचित करें। SDO खेलवार ने कहा, “यह केवल एक साँप का रेस्क्यू नहीं, बल्कि इंसान और प्रकृति के बीच समझ और सह-अस्तित्व की मिसाल है।