Tuesday, June 10, 2025

शराब घोटाले में बड़ा खुलासा, कवासी लखमा को हर महीने मिलते थे करोड़ों रूपये, उन्हीं पैसों से बनाया कांग्रेस भवन और घर।

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रायपुर : शराब घोटाले में कांग्रेसी अपना कितना भी बचाव कर लें अथवा कवासी लखमा मामले से कितना भी पल्ला झाड़ लें, लेकिन जो घोटाला हुआ है, उसमें सामने तथ्य और सबूतों से किनारा नहीं किया जा सकता, छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार की सुबह वे ED दफ्तर पूछताछ के लिए पहुंचे थे। कोर्ट ने उन्हें 7 दिन के लिए ED की रिमांड में भेज दिया है। वहीं ED के वकील सौरभ पांडेय ने दावा किया है कि, कवासी लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर दिए जाते थे। ED के वकील ने यह सनसनीखेज आरोप लगाया है।

ED के वकील बोले- कमीशन के पैसों से बनवाया घर और कांग्रेस भवन :

मामले की सुनवाई के बाद बाहर निकले ED के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि, यह कार्यवाही 2 साल तक चली है, जिसमें 36 महीने में प्रोसीड ऑफ क्राइम 72 करोड़ रुपए का है। ये राशि सुकमा में बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और सुकमा कांग्रेस भवन के निर्माण में लगी है। उन्होंने आगे बताया कि, गिरफ्तार अरुणपति त्रिपाठी और अरविंद सिंह ने पूछताछ में बताया था कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पास हर महीने कमीशन पहुंचता था। अरविंद सिंह ने बताया था कि, शराब कर्टल से हर महीने लखमा को 50 लाख रुपए दिए जाते थे। यही नहीं 50 लाख रुपए के ऊपर भी 1.5 करोड़ रुपए और दिया जाता था। इस हिसाब से 2 करोड़ रुपए पूर्व आबकारी मंत्री को हर महीने कमीशन के तौर पर मिलते थे। यह सब कोर्ट में वकील ने बताया है।

आबकारी के अधिकारी भेजते थे पैसे :

उन्होंने इस मामले में आगे कहा कि, आबकारी विभाग में काम करने वाले ऑफिसर इकबाल खान और जयंत देवांगन ने बताया है कि, वे पैसों का जुटाकर उनको भेजते थे। कन्हैया लाल कुर्रे के जरिए पैसों के बैग कलेक्ट किए जाते थे। यहां तक कि, कवासी लखमा ने खुद अपने बयान में यह माना है कि अरुण पति त्रिपाठी साइन करवाता था। ऐसे में उन्हें नॉलेज तो था कि कुछ चल रहा है। इसलिए इस मामले में इनकी मिली भगत साफ तौर पर दिखाई दे रही है।

लखमा के वकील बोले – सबूत बनाने के बाद की गई गिरफ्तारी 

इधर सुनवाई के बाद बाहर निकले कवासी लखमा के वकील फैजल रिजवी ने कहा कि, उनकी गिरफ्तारी सबूत बनाने के बाद की गई है। अगर 2 करोड़ रुपए मिलने की बात वे कह रहे हैं तो बताएं कि, कवासी लखमा के घर से क्या मिला? छापे में कहीं से 20 हजार रुपए भी नहीं मिले हैं। यह मिथ्या आरोप है।

17 जनवरी को ED ने दर्ज की थी FIR :

जहां ED से प्राप्‍त सूचना के आधार पर एसीबी ने इसी साल 17 जनवरी को इस मामले में एफआईआर की दर्ज की थी। जांच के दौरान एजेंसी ने मामले में फरार चल रहे कई आरोपियों जिनमें आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव एपी त्रिपाठी भी शामिल हैं। उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया है, फिलहाल वे यूपी की मेरठ जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद भिलाई के बड़े शराब कारोबारी के साथ ही कुछ और लोगों को एसीबी ने पकड़ा है।

इनके नाम हैं शामिल :

शराब घोटाले मामले में एआईएस में आईएएस निरंजनदास, अनिल टूटेजा, उनके बेटे यश टूटेजा के साथ एके त्रिपाठी, विवेक ढांड और तत्‍कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम शामिल है। शराब घोटला में ही अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, विजय भाटिया के साथ ही एक दर्जन से ज्‍यादा आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। अब भी कुछ नाम सामने आने की उम्मीद है।

ईडी ने किया था आवेदन :

ईडी ने जिस आवेदन के आधार पर एसीबी ने शराब घोटाला में FIR दर्ज की है। वह आवेदन ईडी ने मार्च 2023 में एसीबी और ईओडब्‍ल्‍यू को दिया गया था। लेकिन तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, ऐसे में उस समय FIR दर्ज नहीं की गई, लेकिन अब सत्‍ता परिवर्तन के बाद राज्‍य सरकार की एजेंसी ने इन मामले में FIR दर्ज कर लिया है। दोनों मामलों में धोखाधड़ी और भ्रष्‍टाचार की धाराओं में FIR दर्ज किया गया है।

रिकार्ड समय में एजेंसी ने की जांच पूरी :

शराब घोटाले में एसीबी और ईओडब्‍ल्‍यू ने इसी साल जनवरी में FIR दर्ज कर लिया था। लेकिन मामले की जांच में तेजी आईपीएस अमरेश मिश्रा के एजेंसी के चीफ बनने के बाद आई। रायपुर रेंज आईजी मिश्रा को 11 मार्च को एसीबी-ईओडब्‍ल्‍यू का भी प्रभार सौंपा गया। श्री मिश्रा के आते ही मामले की जांच में तेजी आई और रिकार्ड समय में एसीबी आज कोर्ट में चालान पेश कर रही है। सामान्‍यत: एसीबी-ईओडब्‍ल्‍यू में चांज लंबे समय तक लंबित रहती है। लेकिन इस जांच को बड़ी ही तेजी से निपटाया गया है।

नोएडा में भी दर्ज है FIR :

शराब घोटाला केस में नोएडा में भी एक FIR दर्ज की गई है। यह FIR ईडी की ही शिकायत पर नोएडा पुलिस ने दर्ज की है। इसमें आबकारी विभाग के सचिव और विशेष सचिव समेत पांच लोगों को आरोपी बनाया गया है। यह FIR नोएडा के कसाना थाना में आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 473 और 120 बी के तहत दर्ज किया गया है। इस FIR में ईडी की तरफ से नोएडा की कसाना पुलिस को बताया गया है कि, ईडी की तरफ से छत्‍तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच की जा रही है। घोटाले की आंच पूर्व मुख्यमंत्री तक भी जाने की उम्मीद है।

नियम विरुद्ध दिया गया टेंडर :

इस जांच में ईडी को यह पता चला है कि नोएडा स्थित मेसर्स प्रिज्‍म होलोग्राफी सिक्‍योरिटी फिल्‍म्‍स प्राइवेट लिमिटेड को नियम विरुध्‍द तरीके से टेंडर दिया गया था, जबकि कंपनी टेंडर में शामिल होने के लिए पात्र ही नहीं थी। इसके बावजूद कंपनी ने छत्‍तीसगढ़ के आबकारी विभाग के अफसरों के साथ मिलकर टेंडर हासिल कर लिया। आरोप है कि छत्‍तीसगढ़ के अफसरों ने इस मामले में आठ पैसा प्रति होलोग्राम कमीशन लिया है। FIR में होलोग्राफी कंपनी के एमडी विदु गुप्‍ता का भी नाम है। होलोग्राम के मामले की जांच में टिकरापारा स्थित फैक्ट्री में भी छापा मारा गया था।

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