
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, वैभव, यश,कीर्ति और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। धार्मिक मान्यता है मां लक्ष्मी जिस घर में विराजती हैं, वहां भक्तों के सभी दुख-कष्ट दूर करती हैं और धन-संपन्नता का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए दिवाली के दिन मां लक्ष्मी को स्वागत करने के लिए सुंदर और आकर्षक रंगोली बनाई जाती हैं। मुख्यद्वार पर आम या अशोक के पत्ते और गेंदे के फूल से तोरण लगाया जाता है। इसके साथ ही घर को लाइट्स और रंगे-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। मंदिर को बड़ी खूबसूरती से सजाते हैं। इसके अलावा दिवाली में स्वस्तिक, शुभ-लाभ और लक्ष्मी चरण लगाना भी सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, लेकिन मां लक्ष्मी के पदचिन्ह, स्वस्तिक और शुभ-लाभ लगाते समय वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं….
कहां लगाएं लक्ष्मी चरण?
दिवाली पर मां लक्ष्मी के चावल के आटे या आलता से बनाना बेहद शुभ माना जाता है। मां लक्ष्मी के अंदर आते हुए चरण ही लगाने या बनाने चाहिए। गलती से बाहर जाते हुए चरण नहीं लगाना चाहिए। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी बाहर की तरफ चली जाती हैं। मां लक्ष्मी के कदम को मुख्यद्वार पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि जो भी घर में प्रवेश करता है, वह जाने-अनजाने में मां के चरणों पर पैर रखकर प्रवेश करता है। इसलिए घर के मंदिर की ओर जाते हुए मां लक्ष्मी के कदम लगाने चाहिए। लक्ष्मी कदम का चिन्ह एक सामान्य हथेली के बराबर होनी चाहिए। लाल,हरा,पीला और गुलाबी रंग के लक्ष्मी कदम शुभ माने जाते हैं। इसके साथ ही रंग-बिरंगे लक्ष्मी कदम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
शुभ-लाभ कहां और कैसे लगाएं?
घर के सजावट में कई बार लोग शुभ और लाभ ऊपर-नीचे की ओर लगाते हैं। हालांकि, इससे लाभ की जगह हानि हो सकता है। इसलिए शुभ-लाभ को हमेशा एक बराबर में स्थापित करें। घर के मुख्यद्वार,पूजास्थल, बही-खाता,गल्ले और लॉकर में शुभ-लाभ का प्रतीक बनाया जा सकता है। रोली,कुमकुम, दही और अक्षत घोलकर अनामिका उंगली से शुभ-लाभ बनाएं। शुभ-लाभ लाल रंग का होना चाहिए। इसके अलावा शुभ-लाभ ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए। इसका आकार इतना बड़ा हो, जितना से आसानी से पढ़ा जा सके।