Tuesday, June 10, 2025

मेडिकल कॉलेज में लापरवाही का घिनौना चेहरा: बच्ची की मौत के 17 घंटे बाद मिला पोस्टमार्टम मेमो, बिलखते रहे परिजन — चौकी प्रभारी के दखल पर टूटी अस्पताल प्रबंधन की नींद*

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कोरबा। शहर का स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एक बार फिर लापरवाही और संवेदनहीनता की शर्मनाक मिसाल बन गया है। इस बार मामला एक 13 साल की मासूम बच्ची की मौत से जुड़ा है, जहां अस्पताल प्रबंधन ने वैधानिक प्रक्रिया में ऐसा ढिलाई बरती कि पोस्टमार्टम जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में 17 घंटे की देरी हो गई।

घटना आदर्श नगर, कुसमुंडा निवासी पियांशी जायसवाल की है, जिसने अपने घर में फांसी लगा ली थी। परिजन उसे गंभीर अवस्था में मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने उपचार किया, लेकिन मासूम की जान नहीं बच सकी और सोमवार शाम 5 बजे उसकी मौत हो गई।
इसके बाद शुरू हुआ अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का खेल। परिजन पूरी रात बच्ची का शव लेकर पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर बैठकर बिलखते रहे। उन्हें उम्मीद थी कि नियमानुसार एक घंटे के भीतर पुलिस को मेमो (सूचना पत्र) भेज दिया जाएगा और सुबह-सुबह पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी होगी। लेकिन प्रशासनिक सुस्ती ने इस दर्द को और बढ़ा दिया।

मेमो भेजने में 17 घंटे की देरी*

मौत के 17 घंटे बाद तक अस्पताल प्रबंधन ने जिला अस्पताल परिसर स्थित पुलिस चौकी को जरूरी मेमो नहीं भेजा। इस लापरवाही की वजह से पुलिस भी पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी नहीं कर सकी। बच्ची के पिता रमेश जायसवाल ने बताया, “हम पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर पूरी रात बैठे रहे। डॉक्टर भी नजर नहीं आए। जब पुलिस चौकी पहुंचे तो वहां पता चला कि अस्पताल वालों ने अब तक कागज ही नहीं भेजे।”
*चौकी प्रभारी का हस्तक्षेप, तब जागा प्रबंधन*
इस पूरे घटनाक्रम में चौकी प्रभारी दाऊद कुजूर ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन की तरफ से मंगलवार दोपहर तक मेमो नहीं भेजा गया था। जब परिजन दोपहर में हमारे पास पहुंचे, तब इस पूरे मामले की जानकारी हुई। इसके बाद उन्होंने अस्पताल अधीक्षक डॉ. गोपाल कंवर से संपर्क किया और दबाव बनाया। तब कहीं जाकर अधीक्षक ने दस्तावेज भिजवाए।
*लापरवाही से अंतिम संस्कार में एक दिन की देरी*
पोस्टमार्टम में देरी की वजह से बच्ची का अंतिम संस्कार भी टल गया। परिजनों ने बताया कि सोमवार रात से लेकर मंगलवार दोपहर तक वे अस्पताल में ही बैठकर मेमो और डॉक्टरों का इंतजार करते रहे। पोस्टमार्टम कागज मिलने के बाद ही पुलिस प्रक्रिया पूरी कर सकी। इससे बच्ची का अंतिम संस्कार मंगलवार शाम की बजाय बुधवार सुबह किया जाएगा।

अस्पताल प्रशासन की चुप्पी*

इस पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की तरफ से कोई जिम्मेदार अधिकारी सामने आकर स्थिति स्पष्ट करने तक नहीं आया। अधीक्षक डॉ. गोपाल कंवर ने सिर्फ औपचारिक कार्रवाई कर कागज भिजवाया और मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की।

बड़ा सवाल— कब सुधरेगा सिस्टम ?

यह पहला मौका नहीं है जब मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लापरवाही की शिकायतें आई हों। इससे पहले भी मरीजों के इलाज और डेड बॉडी हैंडलिंग में गड़बड़ियों के मामले सामने आ चुके हैं। इस बार मासूम बच्ची की मौत और पोस्टमार्टम में 17 घंटे की देरी ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है।
परिजन और स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि आगे किसी और परिवार को ऐसी पीड़ा से न गुजरना पड़े।

अधिकारी का बयान..

इस मामले में जिला मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता का कहना है कि जैसे ही AMS द्वारा जानकारी दी गई मुझे तत्काल जवाबदेह को फटकार लगाई और इस लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार नर्स और डॉक्टर को नोटिस जारी किया की ये मानवता का हनन है अगर इस प्रकार की लापरवाही का स्पष्टीकरण मांगा गया और अनुशांत्मक कार्यवाही के लिए संबंधित के व्यक्तिगत प्रपत्र में लिखा जाने की अनुशंसा की गई।

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