Monday, June 9, 2025

रायपुर में कानून को ठेंगा? पत्रकारों से मारपीट के आरोपी बाउंसरों का जेल से छूटते ही ‘शाही’ स्वागत, उसी सड़क पर जश्न जहां निकला था जुलूस

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां कानून-व्यवस्था को सरेआम चुनौती दी जा रही है। कुछ दिन पहले जिन बाउंसरों पर पत्रकारों से मारपीट का आरोप लगा और पुलिस ने जिनके बाल काटकर जुलूस निकाला था, वे अब जेल से छूटने के बाद उसी सड़क पर हीरो की तरह घूमते और जश्न मनाते नजर आए। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और अपराधियों के बुलंद हौसलों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।रायपुर में कानून को ठेंगा

घटनाक्रम के अनुसार, पत्रकारों से मारपीट के आरोपी बाउंसरों को जब जेल से रिहाई मिली, तो उनका जोरदार स्वागत किया गया। देर रात जेल से बाहर आते ही उन्हें फूलों की मालाओं से लाद दिया गया और उनके समर्थन में जमकर आतिशबाजी की गई। समर्थकों की भारी भीड़ ने उनका अभिनंदन किया।रायपुर में कानून को ठेंगा

विडंबना देखिए, यह जश्न उसी सड़क पर मनाया गया, जहां महज एक हफ्ते पहले पुलिस ने इन्हीं आरोपियों के बाल आड़े-तिरछे काटकर उनका जुलूस निकाला था, ताकि उनमें कानून का खौफ पैदा हो सके। लेकिन रिहाई के बाद का यह नजारा ठीक इसके विपरीत था। आरोप है कि इस पूरे ‘स्वागत समारोह’ के दौरान पुलिसकर्मी भी कथित तौर पर वहां मौजूद थे और मूकदर्शक बने रहे।रायपुर में कानून को ठेंगा

क्या था पूरा मामला: पत्रकारों पर क्यों हुआ था हमला?

यह पूरा विवाद रायपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, अंबेडकर अस्पताल, में शुरू हुआ था। दरअसल, उरला इलाके में हुई एक चाकूबाजी की घटना में घायल व्यक्ति को इलाज के लिए अंबेडकर अस्पताल लाया गया था। जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ वरिष्ठ पत्रकार इस घटना की कवरेज के लिए अस्पताल पहुंचे, तो वहां तैनात प्राइवेट बाउंसर जतिन ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया।

पत्रकारों द्वारा इसका विरोध करने पर बाउंसरों ने उनके साथ गाली-गलौज और धक्का-मुक्की शुरू कर दी। बात इतनी बढ़ी कि बाउंसरों ने अपने और साथियों को बुला लिया और एकजुट होकर पत्रकारों पर हमला कर दिया। इस हमले में कई पत्रकारों को चोटें भी आईं।रायपुर में कानून को ठेंगा

पिस्तौल तानकर जान से मारने की धमकी

इस मारपीट के दौरान वसीम अकरम उर्फ वसीम बाबू नामक एक बाउंसर ने हद पार करते हुए एक पत्रकार पर पिस्तौल तान दी और उसे जान से मारने की धमकी भी दी।रायपुर में कानून को ठेंगा

पुलिस की कार्रवाई और दर्ज मामले

पत्रकारों की शिकायत पर मौदहापारा पुलिस ने आरोपी बाउंसरों – वसीम बाबू, जतिन गंजीर, सूरज राजपूत और मोहन राव गौरी – के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 296, 115(2), 351(2), 126(2), 3(5) और आर्म्स एक्ट की धारा 25, 27 के तहत गंभीर अपराध दर्ज किया था। पुलिस ने वसीम के कब्जे से एक पिस्तौल और 22 जिंदा कारतूस भी जब्त किए थे। इसके बाद पुलिस ने चारों आरोपियों को बाल काटकर सड़क पर घुमाया था और फिर उन्हें जेल भेज दिया गया था।रायपुर में कानून को ठेंगा

सरकारी अस्पताल में प्राइवेट बाउंसर और ‘कमीशन’ का खेल?

अंबेडकर अस्पताल जैसे बड़े सरकारी संस्थान में प्राइवेट बाउंसरों की तैनाती और उनकी गुंडागर्दी को लेकर अस्पताल प्रबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि आरोपी वसीम के न केवल अंबेडकर अस्पताल बल्कि कई अन्य सरकारी संस्थानों में भी ठेके चलते हैं। आरोप है कि इन ठेकों के एवज में नेताओं और अधिकारियों तक ‘कमीशन’ पहुंचता है।रायपुर में कानून को ठेंगा

कुछ महीने पहले वसीम का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह कथित तौर पर नेताओं और अफसरों को कमीशन देने की बात कर रहा था। इन्हीं कथित संरक्षण के चलते अस्पताल में बाउंसरों की मनमानी चलती है और वे कई बार मरीजों के परिजनों को भी डराते-धमकाते हैं। सूत्रों का यह भी दावा है कि जेल में बंद रसूखदार कैदियों को बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल में विशेष सुविधाएं दिलाने और उनकी ‘सुरक्षा’ का जिम्मा भी यही बाउंसर उठाते हैं।रायपुर में कानून को ठेंगा

यह पूरी घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर बल्कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों पर भी गंभीर चिंता पैदा करती है।रायपुर में कानून को ठेंगा

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